ग्राम हतनारा में बना अमृत सरोवर तालाब किसानों के लिए सिंचाई का अभिशाप बन गया है

पिपलौदा। इन दिनों प्रदेश के अमृत सरोवर खासे चर्चा में बने हुए है, बुरहानपुर जिले के बाद अब रतलाम जिले की पिपलौदा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम हतनारा में बना अमृत सरोवर तालाब किसानों के लिए सिंचाई का अभिशाप बन गया है। इसके निर्माण में लगी एजेन्सी तथा जिम्मेदार कुछ भी कहने से बच रहे हैं, लेकिन मौके पर तालाब किसानों के साथ हुए छल तथा भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा की कहानी खुद बयान कर रहा है। इसके निर्माण के समय किसानों को भरोसा दिलाया गया था कि उनकी फसलों को पर्याप्त पानी मिलेगा तथा क्षेत्र के जल स्तर में वृद्धि होगी। इसे देख कर लगता है कि बिना तकनीकी सलाहकार के एक फर्म को लाभ पहुँचाते हुए इसका निर्माण कर दिया, जिससे न तो सिंचाई हो रही है और न ही जल स्तर में कोई वृद्धि ही दिखाई दे रही है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 वाटर शेड के माध्यम से बने इस अमृत सरोवर के क्रियान्वयन में लगी जल संग्रहण समिति हतनारा के पदों पर कौन है, किसी को नहीं जानकारी नहीं है।
जनपद क्षेत्र के ग्राम हतनारा में साढ़े 27 लाख रूपए की लागत से बनने वाला तालाब, जिससे साढ़े 23 हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई का दावा किया गया है, उसमें इतनी बरसात के बाद भी स्टापडेम के दूसरे भाग में पानी भरा है। इससे न सिंचाई हो पाएगी और न ही क्षेत्र के जल स्तर में कोई वृद्धि होगी। इसमें वर्तमान में कितना खर्च किया गया, कितने मजदूरों से काम करवाया गया और कितनी मशीनरी का उपयोग हुआ है, इस बारे में निर्माण एजेन्सी जनपद पंचायत मौन है। 35 हजार 148 घन मीटर पानी के स्टोरेज का दावा भी अपने आप में किसानों के साथ हुए छल और भ्रटाचार की कहानी से शर्मिन्दा हो रहा है।
पिपलौदा जनपद पंचायत के ग्राम हतनारा में बना अमृत सरोवर प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना2.0 वाटर शेड के अंतर्गत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम निर्माण किया गया है। इसके निर्माण से ग्रामीणों को भरोसा दिलाया गया था कि इसमें जमा होने वाले पानी से साढ़े 23 हेक्टर क्षेत्र में किसानों को सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी। इसी वर्ष मई माह में इसका कार्य प्रारंभ हुआ था तथा कब समाप्त हो गया, किसी को अभी तक पता नहीं है। जिस अमृत सरोवर के निर्माण में पानी को रोकने की योजना थी वहां कहीं-कही्ं गड्ढे भरे हैं तथा इसी के ठीक उलट वाले भाग में पानी बह कर जा रहा है। इससे साबित होता है कि इसके निर्माण में गुणवत्ता तथा योजना के हिसाब से निर्माण नहीं करवाया गया है। इसके लिए अधिकृत वाटर शेड के इंजीनियर न तो यहां देखने आए और न ही अब किसी से बात कर रहे हैं। योजना की जानकारी जनपद पंचायत से चाही तो पंचायत अधिकारी को भी इसकी जानकारी नहीं है, जिले से प्राप्त होगी कह कर पल्ला झाड़ लिया गया। इस स्थान पर लगा बोर्ड भी यह नहीं बता पा रहा है कि इसकी प्रशासकीय स्वीकृति तथा तकनीकी स्वीकृति कितनी राशि की हुई है। मात्र साढ़े 27 लाख की स्वीकृति लिखा है, जिससे स्पष्ट नहीं है प्रशासकीय और तकनीकी रूप से तालाब की स्थिति क्या है। क्षेत्र के किसानों का सिंचाई से संबंधित जवाब देने के लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं हैं। यहां सिंचाई की सुविधा के लिए शासन ने व्यवस्था की लेकिन स्वीकृति के बाद किसी ने यहां आकर यह देखने की जरूरत नहीं समझी कि किसानों को वास्तविक में इसका लाभ मिल रहा है या नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि अधिकांश काम जेसीबी के माध्यम करवाया गया, जबकि मनरेगा में मजदूरों के माध्यम किया जाना था। क्रियान्वयन समिति जल संग्रहण समिति हतनारा को बताया जा रहा है,लेकिन यह जल समिति है कहां और इसके जिम्मेदार पदों पर कौन है किसी को पता नहीं है।
- इस तालाब के निर्माण को लेकर सवालों के अंबार है तथा यह भ्रष्टाचार की कहानी खुद बयान कर रहा है, लेकिन उचित मॉनिटरिेंग तथा विभागीय लापरवाही के चलते इसके यह हालात बने हैं। साढ़े 23 हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई का दावा करने वाला यह तालाब 23 मीटर भूमि को भी सिंचिंत नहीं कर सकता है। क्षेत्र के किसानों में इस बात का भी रोष है कि इसके निर्माण को लेकर दूरदर्शिता नहीं रखी गई, कितना पानी यहां आएगा और कितनी स्टोरेज क्षमता हो सकती है। किसानों को सिंचाई की सुविधा कैसे मिलेगी। नहर निकाली जाएगी या सीधे पंप के माध्यम से किसानों को अपनी पाइप लाइन से पानी लेना होगा। 9617581494