धर्म में आस्था ही धर्म को बचाती है धर्म विहीन मनुष्य पशु के समान है

 धर्म में आस्था ही धर्म को बचाती है धर्म विहीन मनुष्य पशु के समान है सीर्फ जय जयकार करने से नहीं धर्म कार्य करने से ही धर्म की रक्षा होगी संसार का सर्वश्रेष्ठ धर्म सनातन धर्म है। उक्त बात ग्राम रिच्छा देवड़ा में समाजसेवी नारायण सिंह चिकलाना ने आयोजित सात दिवसीय कथा में कही आपने आगे कहा कहा की व्यक्ती अपने कर्म चरीत्र ऐवं व्यवहार से बड़ा होता है जाती से नहीं परंतु विडंबना है कि जात पांत और धर्म के नाम पर सनातन धर्म को बांटने का नाकाम का प्रयास किया जा रहा है ऐसे में हमें शास्त्रों को समझना होगा सारे संसार में भारत ही एक ऐसा देश है जहां राम कृष्ण गौतम बुद्ध सीता सावित्री जैसे अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है इसीलिए भारतभूमि का कंण कंण वंदनीय है। हमारे द्वारा किए गए श्रेष्ठ कर्म ही असली धन है कमाया धन ऐक दीन नष्ट होना है परंतु धर्म रूपी धन हमारे नहीं रहने पर भी पर भी स्मरंण के रुप में रहता है इसलिए जीवन में कर्म के साथ- धर्म भी कमाना चाहिए। परमात्मा ने सिर्फ मानव बना कर भेजा है संसार में जीने का अधिकार उसी को जो मानव बन कर रहे धर्म और कर्म जीवनरुपी गाड़ी के दो पहिए हैं। जिसके बिना यह गाड़ी नहीं चल पाती है । इस अवसर पर नारायणसिंह ने भागवत कथा का वाचन करने वाले दाऊदयाल महाराज एवं संयोजक व पुर्व सरपंच मुन्नानाथ का साफा शाल व श्रीफल से सम्मान किया। इस अवसर पर बालुसिंह महेंद्रसिंह देवड़ा समरथ नाथ के अलावा नाथ समाज के सेंकड़ों महीला पुरुष उपस्थित थे।

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